DESK:ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व होता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 26 मई, सोमवार को रखा जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 08:31 बजे तक रहेगी।
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:03 से 04:44 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:36 से 03:31 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:16 से 07:36 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:58 से 12:39 बजे तक
वट सावित्री व्रत का महत्व और आध्यात्मिक लाभ
पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति
वैवाहिक जीवन में सुख और शांति
संतान सुख की प्राप्ति
घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास
पारिवारिक कलह और तनाव से मुक्ति
वट वृक्ष की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि व नियम
प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें
बरगद के वृक्ष की विधिवत पूजा करें और व्रत कथा का पाठ करें
वृक्ष की परिक्रमा करें और धागा लपेटें
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र व धन का दान करें
व्रत के दौरान जल और अन्न का त्याग करें (निर्जला व्रत)
यह व्रत श्रद्धा और आस्था के साथ किया जाए तो जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है।
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