रक्सौल/नई दिल्ली: भारत और नेपाल के बीच दोस्ती, व्यापार और पर्यटन को नई रफ्तार देने वाली बहुप्रतीक्षित रक्सौल-काठमांडू रेल परियोजना ने अब निर्णायक मोड़ ले लिया है। कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए अंतिम भू-सर्वेक्षण (Final Location Survey – FLS) शुरू कर दिया है। यह सर्वे एक वर्ष में पूरा किया जाएगा, जिस पर करीब 37 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
डीपीआर के बाद शुरू होगी निर्माण प्रक्रिया
FLS की रिपोर्ट के आधार पर परियोजना की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाएगी। इसके बाद रेल लाइन बिछाने की निविदा प्रक्रिया शुरू होगी। रक्सौल से काठमांडू तक 136 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन दोनों देशों के बीच सीधा रेल संपर्क स्थापित करेगी। इस मार्ग पर 13 नए स्टेशन बनाए जाएंगे।
दिल्ली से काठमांडू रेल मार्ग से जुड़ने का सपना होगा साकार
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2022 में नई दिल्ली से काठमांडू को रेलमार्ग से जोड़ने की पहल शुरू हुई थी। दिल्ली से रक्सौल तक पहले से रेलवे लाइन मौजूद है, जबकि रक्सौल से काठमांडू के बीच नई पटरी बिछाई जानी है। एक अनुमान के अनुसार, इस परियोजना पर 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी, जो DPR के अंतिम रूप लेने के बाद बढ़ भी सकती है।
सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अहम
इस परियोजना के पूरा होने पर भारत और नेपाल के बीच व्यापारिक लेन-देन को बड़ा लाभ मिलेगा। अभी व्यापार मुख्य रूप से सड़क मार्ग से होता है, जिससे समय और लागत दोनों ज्यादा लगते हैं। रेल मार्ग से वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होगी, जिससे भारत-नेपाल के आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और चीन की बढ़ती पकड़ को संतुलित किया जा सकेगा।
पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों को भी मिलेगा बल
भारत और नेपाल के बीच बिना वीजा-पासपोर्ट के आवाजाही की सुविधा पहले से है। ऐसे में रेल सेवा शुरू होने से पर्यटन को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। भारतीय पर्यटकों के लिए काठमांडू, पोखरा, लुम्बिनी जैसे स्थल आकर्षण का केंद्र हैं, तो वहीं नेपाल के पर्यटक भारत के धार्मिक स्थलों जैसे वैशाली, देवघर, जनकपुर और राजगीर जाना पसंद करते हैं। रेल सेवा इन यात्राओं को सुलभ बनाएगी और धार्मिक-सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ करेगी।
राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना भारत-नेपाल के रिश्तों में नई ऊर्जा का संचार करेगी। वर्तमान में नेपाल में चीनी प्रभाव बढ़ा है, जिससे भारत-नेपाल के रिश्तों में दूरी देखी गई है। लेकिन यह रेल परियोजना दोनों देशों को राजनीतिक रूप से फिर से नजदीक लाने में अहम भूमिका निभा सकती है।
रक्सौल-काठमांडू रेल मार्ग केवल एक परिवहन परियोजना नहीं, बल्कि यह आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक ऐतिहासिक कदम है, जो भारत-नेपाल के रिश्तों को नई दिशा देगा।