रक्सौल/नेपाल वीरगंज की सरिसवा नदी, जिसे छठ पूजा के दौरान स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए प्रशासन और स्थानीय नेताओं ने कई दावे किए थे, इस बार भी अपनी सफाई के नाम पर पूरी तरह नाकाम साबित हुई। छठ महापर्व के मौके पर श्रद्धालुओं की आस्था को बनाए रखने के लिए नदी को स्वच्छ करने का वादा किया गया था, लेकिन नदी की गंदगी और प्रदूषण में कोई खास फर्क नहीं आया।
वीरगंज के मेयर साब की चेतावनी भी सिर्फ गीदड़ भभकी साबित हुई। चमड़ा, वनस्पति उद्योग और अन्य फैक्ट्रियों द्वारा बिना किसी रोक-टोक के प्रदूषित जल छोड़ने का सिलसिला जारी है, जिससे नदी का जल लगातार गंदा हो रहा है। न केवल फैक्ट्रियों का प्रदूषण बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और नीतिगत असफलता भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है।
सरिसवा नदी में फैक्ट्रियों से प्रदूषित पानी की लगातार बर्बादी के बावजूद, अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यदि इस प्रदूषण को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते, तो नदी की सफाई कभी संभव नहीं हो पाएगी। हालांकि, पानी साफ दिखाई देने पर नदी की सतह पर जमी गाद का क्या किया जाएगा, यह एक बड़ा सवाल है।
जनप्रतिनिधि, नगर परिषद, सामाजिक संगठन, व्यापारिक संगठन, हिंदूवादी संगठन – सभी को अपनी भूमिका की समीक्षा करने की आवश्यकता है। यदि इन सबने मिलकर एकजुट होकर इस समस्या का समाधान नहीं निकाला, तो सरिसवा नदी का दर्द और बढ़ता जाएगा।
इतिहास गवाह है कि नदी के साथ अनगिनत अपराध हुए हैं, और आज वह छठ पर्व के मौके पर भी अपनी गंदगी से आस्थावान लोगों को निराश करती रही।