मुजफ्फरपुर – लीची को फलों की रानी कहा जाता है, और जब बात शाही लीची की होती है, तो सबसे पहला नाम मुजफ्फरपुर का ही आता है। बिहार का यह जिला अपने खास स्वाद और खुशबू वाली शाही लीची के लिए न सिर्फ देशभर में प्रसिद्ध है, बल्कि इसे “शाही लीची की राजधानी” भी कहा जाता है।
80% हिस्सा शाही लीची का
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, मुजफ्फरपुर में उगाई जाने वाली लीची की कुल किस्मों में लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा शाही लीची का होता है। यही कारण है कि इस शहर को शाही लीची की राजधानी कहा जाता है।
स्वाद और सुगंध में अनोखी
मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद ऐसा है कि बगल के जिलों में उगाई गई लीची से तुलना करने पर भी इसका अंतर साफ झलकता है। यहां की मिट्टी और जलवायु इस किस्म को विशेष बनाती है, जिससे इसकी मिठास और सुगंध असाधारण हो जाती है।
भारत का बड़ा कदम: बागलिहार डैम के गेट बंद, पाकिस्तान को नहीं मिलेगा चिनाब का पानी
अन्य राज्य भी पीछे नहीं
हालांकि मुजफ्फरपुर का नाम सबसे ऊपर है, लेकिन शाही लीची की पैदावार झारखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में भी होती है। उत्तराखंड में इसे “शाही” और पश्चिमी यूपी में “मुजफ्फरपुर” के नाम से जाना जाता है। यह एक अगेती किस्म है, जो मई के दूसरे सप्ताह से जून के पहले सप्ताह तक पक कर तैयार हो जाती है।
पेड़ और फल की विशेषताएं
शाही लीची के पेड़ औसतन 7.5 मीटर ऊंचे और 8 मीटर तक फैलाव वाले होते हैं। एक पेड़ से 90 से 100 किलोग्राम तक लीची की उपज हो सकती है। प्रत्येक फल का औसत वजन लगभग 20.5 ग्राम होता है। पकने पर इसका रंग लाल व गुलाबी मिश्रित होता है और आकार गोल से हार्ट शेप तक हो सकता है।
बाजार में दिखने लगी झारखंड की लीची
वर्तमान समय में बाजार में जो लीची नजर आ रही है, वह ज्यादातर झारखंड की है, जिसकी मिठास और स्वाद ग्राहकों को खूब लुभा रही है। आने वाले दिनों में मुजफ्फरपुर की शाही लीची भी बाजार में दस्तक देगी, जिसका इंतजार हर साल की तरह इस बार भी बेसब्री से किया जा रहा है।