मोतिहारी/बेतिया। बिहार के चंपारण क्षेत्र की पहचान बन चुका जर्दा आम अपने अनूठे स्वाद और मनमोहक सुगंध के लिए देशभर में मशहूर होता जा रहा है। खासकर मोतिहारी और बेतिया जिलों में इसकी खेती होती है और यहीं इसका असली स्वाद भी महसूस किया जा सकता है। इस खास किस्म के आम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह कच्चे होने पर भी मीठा होता है, और पकने पर इसकी सुगंध किसी इत्र की तरह पूरे कमरे को महका देती है। जर्दा आम चंपारण की सुगंध और स्वाद का अनमोल उपहार बन चुका है ।
जर्दा आम का नाम उसकी खास खुशबू के चलते पान मसाले के ‘जर्दा’ से जोड़ा गया है। लेकिन इसकी लोकप्रियता केवल नाम या खुशबू तक सीमित नहीं है। इसका रसदार गूदा और प्राकृतिक मिठास इसे आमों की दुनिया में खास बनाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि एक बार जिसने जर्दा आम खा लिया, वह फिर किसी और आम का स्वाद लेना नहीं चाहता।
जर्दा आम, जिसे जर्दालु आम भी कहा जाता है, बिहार, विशेषकर भागलपुर और चंपारण के क्षेत्रों में प्रसिद्ध है. यह एक विशिष्ट प्रकार का आम है जो अपनी मीठी सुगंध, रसीलेपन और अद्वितीय स्वाद के लिए जाना जाता है. जर्दालु आम को हल्के पीले छिलके और मिठास के लिए भी जाना जाता है.
हालाँकि, जर्दा आम की खेती आज भी सीमित दायरे में होती है।
चंपारण से बाहर इसे उगाने के कई प्रयास हुए, लेकिन वहां की मिट्टी और जलवायु जैसी उपयुक्तता कहीं और नहीं मिल सकी, जिससे इसकी खासियत केवल चंपारण तक ही सीमित रह गई।
प्राकृतिक उपहार के रूप में जर्दा आम चंपारण की शान है। स्थानीय किसान इसे गर्व से उगाते हैं और इसके संरक्षण व प्रचार-प्रसार की मांग लगातार बढ़ रही है। अगर सरकार और कृषि वैज्ञानिक मिलकर इसके व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करें, तो यह आम अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बिहार की एक पहचान बन सकता है।
जर्दालु आम की विशेषताएं:
सुगंध: जर्दालु आम की एक विशिष्ट और मीठी सुगंध होती है.
स्वाद: यह आम बेहद रसीला और मीठा होता है.
आकार: यह आम आकार में मध्यम होता है और उसमें रेशे नहीं होते हैं.
जीआई टैग:
जर्दालु आम को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त है, जो इसे बिहार के एक विशिष्ट उत्पाद के रूप में पहचान दिलाता है.
जर्दालु आम का महत्व:
लोकप्रियता:
जर्दालु आम बिहार में एक बहुत लोकप्रिय आम की किस्म है और इसे देश-विदेश में भी पसंद किया जाता है.
आर्थिक महत्व:
जर्दालु आम किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत है.
संस्कृति:
जर्दालु आम बिहार की संस्कृति का भी एक अभिन्न अंग है और इसे विशेष अवसरों पर परोसा जाता है.
जर्दालु आम की उपलब्धता:
जर्दालु आम का मौसम आम तौर पर मई से जुलाई तक होता है.
यह आम विभिन्न बाजार में और दुकानों में उपलब्ध होता है.
हाल ही में, कुछ किसानों ने इंग्लैंड और अमेरिका में जर्दालु आम निर्यात किया है.
जर्दालु आम के बारे में कुछ और बातें:
कुछ रिपोर्टों में बताया गया है कि कुछ आम की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं, लेकिन जर्दालु आम अभी भी काफी लोकप्रिय है.
जर्दालु आम की खेती बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में की जाती है, लेकिन भागलपुर और चंपारण में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है.
जर्दालु आम की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं.